शायर कहूं या नेताबाज या धर्मनेता ,क्या हैं मुनव्वर राना और इनके अनुयायी :: ✍🏻Vikram Tripathi
✍🏻विक्रम त्रिपाठी
कुछ साल पहले से भारत को असहिष्णू घेाषित करने में भारत के ही कुछ लोग लगे थे,जिसमें एक समुदाय खास कर सक्रिय रहा फिर इसमें भी फिर आते हैं बुद्धिजीवी, वो तो अवॉर्ड वापसी करने लगे थे, हां जी वही मुनव्वर राना जो फ्रांस में गर्दन काटने वाले का समर्थन कर रहे हैं। कह रहे हैं मै होता तो मै भी मार देता । फिर उन्होंने बोला हिन्दू देवी देवता का कोई ऐसा चित्रण करेगा तब भी वो मारने की वकालत करते।
एमएफ हुसैन देवी देवताओं की गन्दी तस्वीर बनाता था तब क्यों नहीं मुनव्वर राना बोले? आप खुद सोचिए
मुनव्वर राना Vs मुनव्वर काना
ऊपर ऊपर से वतनपरस्ती, अंदर से बगदादी निकले ,खुद को शायर कहने वाले फ़ितरत से जेहादी निकले ।
- मुनव्वर काना
राहत इंदौरी,शायर थे भले लेकिन धर्म की बात आए तो रुख एक ही होता था
कभी श्रद्धेय वाजपेयी के घुटनों पर घटिया जोक, कभी रामचरितमानस का मजाक, कभी गोधरा कांड में जलाकर मारे गए कारसेवकों के बारे में झूठ और कभी CAA के विरोध के नाम पर इस्लामिक आतंक को चाशनी में डूबोकर परोसने की छिछोरी कोशिशों के लिए भी याद किया जाएगा राहत इंदौरी को।
फ्रॉड सेकुलर गैंग के हीरो रहे राहत इंदौरी जीवन के आखिरी दिनों में खुलकर जेहादी सोच को दिखाने लगे थे। ओवैसी के मंचो पर चढ़कर जहरीले शेर सुनाना राहत इंदौरी का खास शौक था।
राहत इंदौरी ने पूरे देश में बरसों तक गोधरा कांड में ट्रेन जलाने वालो को बचाने का अभियान चलाया था। जो आतंकवादी सोच के कट्टर मुसलमान गोधरा कांड में ट्रेन जलाने के दोषी पाए गए उनको बचाने के लिए राहत इंदौरी ने कई शेर लिखे और मुस्लिम सभाओं में उन्ही शेरों को पढ़ने के लिए इन्हें बुलाया जाता था।
राहत इंदौरी जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब वाजपेयी जी को दो कौड़ी का आदमी कहकर अपनी छिछोरी शायरी शुरू करते थे जिसमें ज्यादातर वाजपेयी जी के शादी ना करने पर घटिया सेक्सुअल चुटकलों को शायरी का नाम दिया जाता था |
फिर भी क्योंकि मैं जिंदगी के अलग अलग पहलुओं को छूने वाली उनकी शायरी का प्रसंशक हूं इस लिए उनके जाने का दुख मुझे भी है और मुझे लगता है कि हिंदी उर्दू साहित्य के सभी पाठकों और लेखकों को होगा।
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